सीतामढ़ी । गर्मियों के मौसम में फलों का राजा आम हर किसी की पसंद होता है। लेकिन डायबिटीज़ (मधुमेह) से जूझ रहे मरीजों के मन में अक्सर यह सवाल उठता है – क्या वे आम खा सकते हैं या आम खाना सुरक्षित है? इस विषय पर प्रसिद्ध फिजिशयन डॉ. सुबोध कुमार महतो से पुछे जाने पर डॉ. महतो ने स्पष्ट कि डायबिटीज़ वाले रोगी जो आम के मौसम में क्लीनिक में आते हैं, उनमें कुछ आम खाने की बात स्वीकारते हुए कहते है, मेरा शुगर बढ़ गया है। कोई वजन बढ़ने, तो कोई रक्तचाप और कोई कोलेस्ट्रॉल के स्तर में वृद्धि को आम के सेवन का मुख्य कारण बताते हैं, मरीज से पूछने पर वह बस थोड़ा सा खाने की बात स्वीकार करते हैं। लेकिन इस संबंध में बार बार पुछने पर मरीज से पता चलता है कि वह पिछले दो महीनों से लगभग प्रतिदिन बहुत अधिक मात्रा में आम खाए हैं। उन्होंने बताया एक बार में 2 या उससे अधिक आम खाने से लगभग 400 कैलोरी, वहीं एक महीना खाने से 12,000 किलो कैलोरी अतिरिक्त प्राप्त होता है। जिससे एक महीना में 1 किलो वजन बढ़ जाएगा। अत्यधिक सेवन से डायबिटीज़, बीपी और लिपिड में वृद्धि होगी। हालांकि, अगर मरीज सप्ताह में 2-3 बार एक आम और साथ ही स्वस्थ भोजन लेता है और दैनिक व्यायाम करता है तो डायबिटीज़ न्यूनतम हो सकता है।
डॉ सुबोध ने बताया कि आम के पोषण और डायबिटीज़ मूल्यों के बारे में बहुत भ्रम है। वास्तव में आम के ग्लाइसेमिक मूल्य निम्न हैं। दरअसल 120 ग्राम आम में ग्लाइसेमिक इंडेक्स 51 है और ग्लाइसेमिक लोड 8 है। दोनों को निम्न श्रेणी में रखा गया है।उन्होंने बताया कि प्रतिदिन 400 ग्राम फल और सब्जियों का आहार सेवन डायबिटीज़ और संवहनी रोग से बचाव कर सकता है।
डॉ सुबोध ने बताया अमेरिकन अध्ययनों से पता चलता है कि आम के सेवन से सूजन, सिस्टोलिक रक्तचाप में कमी, एचबीए1सी, इंसुलिन के स्तर में सुधार हुआ और डायबिटीज़ के स्तर में कमी आई। उन्होंने कहा आम के फलों, छिलकों, बीजों, तने की छाल के अध्ययन अमेरिका में किए गए हैं, इसलिए वे भारतीयों आमों की किस्मों पर लागू नहीं हो सकता। क्योंकि अमेरिका के आम की प्रजाति भारत से भिन्न है।